इक शौहरत से भरम में आ गए
थे बढ़ते रहे कदम मंज़िल के वास्ते।फिर छोड़ अपनों को चले अपने रास्ते। कुछ पा लिया तो हो गया भ्रम
Read Moreथे बढ़ते रहे कदम मंज़िल के वास्ते।फिर छोड़ अपनों को चले अपने रास्ते। कुछ पा लिया तो हो गया भ्रम
Read Moreये दुनिया तो एक रंगमंच है यारो।जो अपना है वो आएगा ज़रूर;और किसी को चाहे कितना पुकारो। बस भीड़ से
Read Moreहो गए सब देखो कितने कूल।हांजी अब न कोई बनता फूल। समार्टफौन में डूबें सब डयूड;बदला समय बदले सब रूल।
Read Moreतेरा इंकार ज़िन्दगी में बहुत काम आया।हमें खबर न रही तेरी पर तू याद आया। खुद पे भरोसा होता गया
Read Moreख्वाब अधूरे सब रह जाएंगे,बातें अब हम सुनने न आएंगे,अब हम भी बदल जाएंगे। सीमा से परे हालात हो जाएं,ज़िन्दगी
Read Moreवो पूनम की रात है अब भी याद।था दरमियाँ वो अनोखा एहसास।न तुमने कहा, न कुछ हमने कहा।फिर भी निगाहों
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