कहना है मुझे।
सही को सही और ग़लत को ग़लत कहना है मुझे। ग़लत होते देख के यूं खामोश नहीं रहना है मुझे।
Read Moreसही को सही और ग़लत को ग़लत कहना है मुझे। ग़लत होते देख के यूं खामोश नहीं रहना है मुझे।
Read Moreसिसक रहे हम छुप छुप कर मगर तुम्हें कहें कैसे। जो अभाव रहा उम्रभर वो सफ़र तुम्हें कहें कैसे। तुम
Read Moreमां सुन सुन के ये समाचार मुझे डर लगता है, तुम हो मेरे पास फिर भी मुझे डर लगता है।
Read Moreतिरंगे को उठाया है तो तुम इसका सम्मान भी करना। दिल में कुछ होंठों पे कुछ हो ऐसा कोई काम
Read Moreकभी -कभी करता है मन। त्याग के सब उधेड़-बुन। करूं कुछ बातें तुमसे मैं; और कुछ तुम कहो साजन। मन
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