मुक्तक
सनातन की मान्यताओं से जो खिलवाड़ करे, होगा पूर्ण बहिष्कार, इस पर विचार करें। न हिंसा प्रदर्शन होगा, न धरना
Read Moreबाँट बाँट कर मेरे देश को, जाति धर्म क्षेत्र के टुकड़ों में, मानवाधिकार की बात कर रहे, वह भी टुकड़ों
Read Moreअर्थ के भी महत्व, समझ आने लगे हैं, न दिया तो रूठकर, अपने जाने लगे हैं। दे दिया गर सारा,
Read Moreविचारों को बिना क़िसी डर भय या लॉग-लपेट के प्रकट करना ही अभिव्यक्ति हो सकता है। अभिव्यक्ति के प्रकटीकरण का
Read Moreसच को सच कहने से डरता हूँ, रिश्ता कोई टूट न जाए, सच का किस्सा सच सुनकर, अपना कोई रूठ
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