Author: डॉ. अ. कीर्तिवर्द्धन

कविता

कविता

आत्मा मर चुकीशरीर निष्प्राण होरीढ़ हड्डी विहीनकमर की तान हो,बिस्तरों पर लेटकरजो न्यायधीश बन सकेबेहया निर्लज्जों सेक्यों अपेक्षित सम्मान हो?क्यों

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मुक्तक/दोहा

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मतलब, क्या गाली देना कहलाता हैअभिव्यक्ति की आज़ादी मतलब, क्या गुंडागर्दी कहलाता है?आग लगाने वाले गुण्डों का,

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