कविता
मरी हुई हो आत्मा जिसकी, बस शरीर ही ज़िन्दा हो, उसको कोई क्या मारेगा, जो खुद पर ही शर्मिंदा हो।
Read Moreशिया सुन्नी या अहमदिया, यदि कहीं मारा जाता है, विश्व पटल पर मुस्लिम मारा, संदेश सुनाया जाता है। शिया मारे
Read Moreवह दौर पुराना परिवारों का, जब बुआ घर पर आती थी, गली मोहल्ले सारे गाँव में, ख़ुशियाँ तब आ जाती
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