मुक्तक/दोहा

बात

वक़्त पड़े तो शब्द धार बन जायें,
दुश्मन के वार तार तार कर जायें।
शब्द में इतनी मर्यादा भी चाहिए,
ज़रूरत पड़े तो शब्द प्यार बन जायें।
प्यार ही शब्द का आधार होता है,
विश्वास शब्द का व्यवहार होता है।
शब्द बेहद क़ीमती हैं यूँ न गवांईये,
तौल कर बोलना शब्द सार होता है।
दुष्ट के साथ विनम्रता सदा होती नहीं,
प्यार की बात ज़हर का असर धोती नहीं।
शब्द मीठे बोलते देखिए चापलूस अक्सर,
सच्ची मगर कड़वी बात आँख भिगोती नहीं।
— अ कीर्ति वर्द्धन