लेकिन तुम्हें याद करते ही –
क्या मै ठीक ठीक वहीँ हूँ जो मैं होना चाहता था या हो गया हूँ वही जो मै अब होना चाहता हूँ काई को हटाते
Read Moreक्या मै ठीक ठीक वहीँ हूँ जो मैं होना चाहता था या हो गया हूँ वही जो मै अब होना चाहता हूँ काई को हटाते
Read Moreमैंने अब तक स्वयम को देखा ही नही पता नही मेरा घर मेरे बारे मे क्या सोचता होगा अशोक के
Read Moreजब मै कविता पढ़ता हूँ पत्ते पर बैठ कर चीटियों सा नदी पार करने लगता हूँ ,.. जब मै कविता सुनता हूँ ,.. सीधे जडो
Read Moreआकाश उड़ रहा है चिडिया के संग . चोच में तिनके की तरह दबा हुआ .है . आईने से चुराया हुआ एक टुकड़ा प्रतिबिम्ब ..
Read Moreबंद मुट्ठी के भीतर ..मन को पेपर वेट कीतरह ..दबा रहा हूँ अपनी सघनता और अपने वजन का जैसे अनुमान लगा रहा हूँ
Read Moreहवा गुनगुनाने लगी थी ..एक गीत .. वह पहला गीत आज भी जंगल की खामोशी में पत्तियों की हथेलियों पर
Read Moreएक शब्द या एक किताब को पढ़कर … किसी पेड़ से उतरती गिलहरियों को देख कर …. या भिखारी के कटोरे से
Read Moreवो सब बच्चे जो पाठ शाला नही जाते ..हमे नही पढ़ पायंगे .. किताबें उदास है .. हमे कौन
Read Moreपांवो मे घुंघरू बाँध कर नाचती है रात आवारा सड़कों पर .. बदनाम गलियों में … रात भर भटकती है रात आकाश
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