जो मिला नहीं कभी
शाम कों .. कमरे के भीतर खिडकियों के करीब जब तुम खड़ी हुई होती हो तब मैं तुम्हें दूर गगन
Read Moreशाम कों .. कमरे के भीतर खिडकियों के करीब जब तुम खड़ी हुई होती हो तब मैं तुम्हें दूर गगन
Read Moreउन्हें जितना याद रखने की कोशिश करने लगे हैं वो हमें उतना ही भूलाने की साजिश करने लगे हैं
Read Moreमै ऐसा लिखूं गीत कि रोम रोम तुम्हारे हो जाए झंकृत अधरों से भी तुम्हारे जो मीठा हो अधिक
Read Moreमेरी सारी कल्पनाएँ .. अधूरी हैं … तुम्हारे बिना इसलिए साये की तरह मैं किया करता हूँ … तुम्हारा
Read Moreतुम्हें मै किस तरह से पुकारूँ किये बिना शब्दों का उच्चारण क्या तुम सुन लोगी मौन के मूक स्वरों
Read Moreतुम्हारे ख्यालों तक मेरे ख्याल .. तुम्हारे सपनों तक मेरे स्वप्न .. तुम्हारी खामोशी तक मेरी खामोशी … क्या कभी
Read Moreफूल बन मेरे आँगन में तुम्हारा सुंदर रूप ही तो हैं खिला उड़ आयी हो स्नेह के पंख पसार
Read Moreकविता लिखते -लिखते पता नही चला … कब शाम हो गयी कब धुप मुझे छोड़कर चली गयी .. .भूख नही
Read Moreवो जब भी मुझसे मिलता है दीवाने की तरह उसमें फ़ना होने की चाह है परवाने की तरह उसे
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