कविता

तुम्हारे रूप का…

 

तुम्हें मै किस तरह से पुकारूँ
किये बिना शब्दों का उच्चारण

क्या तुम सुन लोगी
मौन के मूक स्वरों से
भरा मेरा आमंत्रण

बिना नाम के
बिना आकार के
आखिर तुम हो कौन
जिसका सौन्दर्य मुझे
लग रहा हैं असाधारण

बादलों के रंगों से
अंबर पर
कर लेती हो तुम अपना
नयना अभिराम चित्रण

पंखुरियों सा खिल जाती हो
जब भी छूती हैं तुम्हें किरण

सुबह सुबह
समुद्र तटीय रेत पर
उभर आती हो
बनकर एक दर्पण

मै तुम्हें पहचानता हूँ
पर तुम मुझे नहीं पहचानती
कभी तारों सा ,
कभी चाँद सा
कभी पर्वत शिखरों सा
कभी जंगल सी गुजरती
एक अकेली राह सा
तुम्हें निहारता आया हूँ

और करूँ अब मैं
तुम्हारे रूप का
कितना वर्णन

किशोर कुमार खोरेंद्र

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

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