परिवर्तित व्यवहार
अक्षर शब्द रस छंद ,और अलंकार देख कर मेरा परिवर्तित व्यवहार मुझसे पूछते हैं कब हुआ तुमसे ,मेरा प्यार
Read Moreअक्षर शब्द रस छंद ,और अलंकार देख कर मेरा परिवर्तित व्यवहार मुझसे पूछते हैं कब हुआ तुमसे ,मेरा प्यार
Read Moreखिल उठते हैंजब पतंग की तरह उड़ा करता था मन वह था मेरा बचपन सौंदर्य की आंच से झुलस जाने
Read Moreबांहों में उग आये काँटों से दुखी: न हो बबूल पवन कहें तुमसे संग मेरे झूम नदिया कहें झुलसी टहनियों
Read Moreमेरी आत्मा एक नदी है बिखर जाती हैं जब ज्योत्सना अम्बर से अप्सरा सी उतर आती हैं मेरी कल्पना प्रेम
Read Moreतुम गूंजती मुझमे बनकर धड़कन तुम निहारती मुझे बहते निर्झर सा बन कर दर्पण तुम्हारी मुस्कराहट – मेरे अंतर्मन के
Read Moreपेड़ की ओट .. हो जाता हू तब भी देख लेता है मुझे सूर्य का अरुण मुझे ढूंढ़ लेती
Read Moreकविता के जीवन में मै .. जब से आया अनावृत आकाश सा….. हो मन लौट आया मौन के कम्पित
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