Author: किशोर कुमार खोरेंद्र

गीतिका/ग़ज़ल

तुम मेरे बेताब मन का….

  तुम मेरे बेताब मन का दूसरा हिस्सा बन गये  हो  जिसे सुनता रहूँ  प्रेम का  वही किस्सा बन गये हो    हर तरफ तेरे सिवाय  मुझे अब कुछ

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