साहस की आरती (लघुकथा)
राजेश बाबू ने संध्या आरती के लिए थाल सजाया ही था कि बेटी नीति ने टोका, “पापा, आरती कीजिए लेकिन
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Read Moreहोली के दिन बकरापुर में, शेर घुसे गुर्राते भाग घरों में दुबके बकरे, अपनी जान बचाते छूट गये उनके हाथों
Read Moreमाँ के आँचल में हैं खुशियाँ पकते चावल में हैं खुशियाँ प्रेम लुटाती गृहलक्ष्मी की रुनझुन पायल में हैं खुशियाँ
Read Moreलकी गिलहरी लेकर आयी, बोरी भर अखरोट देख चतुर खरहे के मन में, आया थोड़ा खोट अखरोटों को पाने खातिर,
Read Moreशरारती और चटोरा मक्कू चूहा इधर-उधर खाने की तलाश में फिर रहा था। उसे मिर्च-मसालेदार और दूध से बनी चीजें
Read Moreमटकू गदहा आलसी, सोता था दिन-रात। समझाते सब ही उसे, नहीं समझता बात॥ मिलता कोई काम तो, छुप जाता झट
Read Moreभोर खिली, सूरज मुस्काया देख-देख अंबर हर्षाया चुमकी चिड़िया जाग गयी है सारी सुस्ती भाग गयी है उसकी माँ
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