गुलशन-ए-अशआर (कुछ शेर)
तल्खिया-ए-हालात भी सिखाती हैं कुछ हमें वर्ना बे-अंदाज़ ही जीते थे रौ में ज़माने की आपकी सोहबत ने सुखन से
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Read Moreमनीषा का बचपन खेल-कूद में कम और घर का काम करने में ज़्यादा बीता. घर में सदस्य ज़्यादा- कमाने वाले
Read More26 जनवरी वाले दिन सुबह-सुबह अनूप के घर के बाहर अनूप, मनोज और टीनू उदास बैठे थे. उनकी उदासी देखने
Read Moreएक दिन मुझे एक स्कूल में जाने का अवसर मिला। नवीं-दसवीं कक्षा के कुछ विद्यार्थी ब्रेक में बैठे हुए थे।
Read Moreप्रिय बच्चो, गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं, यह पत्र हम आपको गणतंत्र दिवस से कुछ दिन पहले ही लिख रहे
Read Moreमांगेलाल के बहुत मांगने पर भी उन्हें पुत्र-रत्न की प्राप्ति नहीं हो सकी थी. इसका मलाल होते हुए भी, उन्होंने
Read Moreमकर संक्रांति की पावन बेला, लगा हुआ पतंगों का मेला, सूर्य-पतंग भी उड़ पहुंचा है, मकर राशि के घर अलबेला.
Read Moreमेरा मन है कि मैं पतंग बन जाऊं मकर संक्रान्ति और पतंगोत्सव की पावन वेला पर सूर्यदेवता की साक्षी में
Read Moreशादी सम्पन्न होने के बाद निशिता की विदाई होने वाली थी. दोनों परिवारों की अनुमति से यह प्रेम विवाह सुनियोजित
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