कविता

सूर्य-पतंगोत्सव मकर संक्रांति

मकर संक्रांति की पावन बेला,
लगा हुआ पतंगों का मेला,
सूर्य-पतंग भी उड़ पहुंचा है,
मकर राशि के घर अलबेला.

 

 
मकर राशि के स्वामी शनि हैं,
मकर संक्रांति-दिवस है आया,
सूर्य-पुत्र शनि ने स्वागत में,
पलकों का आसन है बिछाया.

 

 
पिता सूर्य के भोजन हेतु,
शनि ने खिचड़ी भी बनवाई,
देसी घी की खुशबू प्यारी,
सूर्यदेव के मन को भाई.

 

 
दक्षिणायन से उत्तरायण को,
सूर्यदेव उड़कर पहुंचेंगे,
सूर्य-पतंग को छू न सकें हम,
पेपर-पतंग उड़ा खुश हो लेंगे.

 

 

पतंग उड़ाएं, खिचड़ी खाएं,
बुराइयों को दूर हटाएं,
सूर्यदेव से विनय करें हम,
जग को सुंदर राह दिखाएं.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244