हर पल ऐसे ही जीना है
चार दिनों का मेला जीवन, बड़ा झमेला है, आना-जाना, भीड़-भड़क्का, मन तो अकेला है, सुख का स्वागत करना है, दुःख
Read Moreचार दिनों का मेला जीवन, बड़ा झमेला है, आना-जाना, भीड़-भड़क्का, मन तो अकेला है, सुख का स्वागत करना है, दुःख
Read Moreशरद ऋतु की धुंध ने, फैलाया है जाल, अवनि-अंबर ढक गए, थम-से गए हैं ताल. सूरज भी फीका हुआ, फीकी
Read Moreहम कदम नहीं रुकने देंगे, निज देश नहीं झुकने देंगे, हे भारत मां शत कोटि नमन, तेरी लाज नहीं लुटने
Read Moreआज अलिक की बात करें, बातें-मुलाकातें करें, खाली रहे जो दिल अब तक, मधुर भावों से भरें. अलक अलिक पर
Read More“जय हिंद” केवल नारा नहीं है, “जय हिंद” में है हिंदुस्तान, “जय हिंद” है वीरों की शक्ति, “जय हिंद” है
Read Moreसर्द-सर्द रातें हों और सनम का दीदार हो, लब रहें खामोश भले बस नैनों से इजहार हो, जनवरी की लंबी
Read Moreनशा नाश का कारण होता, तन-मन-धन का करता नाश, आत्मा तक भी बिक जाती है, परिवार का सत्यानाश! मोबाइल भी
Read Moreसाहित्यिक मंच “लघुकथालोक” पर विजेता लघुकथा नेहा के साथ मैं अपने अपार्टमेंट में ही रहने वाले एक दंपति की बेटी
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