कर्ज
आज नीलू और नीलेश अस्पताल से डिस्चार्ज होकर घर आए थे. इतने दिनों तक वे दोनों अलग-अलग वॉर्डों में थे,
Read Moreजीवन की बहती धारा में, आगे बढ़ते जाना है, नदियां-सागर आंधी-पानी, में भी चलते जाना है . हिम्मत अगर नहीं
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Read Moreटाइम नहीं है (कविता) आज जब बैठा मैं लिखने अपने विचार, लिखना तो बहुत था पर लाइनें लिखीं दो-चार, ऐसा क्यों
Read Moreवृक्षों की भाषा को समझें क्या कहते इनकी हरियाली देकर अन्न-फल-दलहन-तिलहन, पेड़ बढ़ाते है खुशहाली हम जब हरे-भरे होते हैं
Read Moreपेड़ काटना बुरी बात है, मत रो बहिना, चुप हो जाओ, हम फिर इसको हरा करेंगे, झटपट जाओ, झारी लाओ.
Read Moreश्री गणेश (लघुकथा) ”बिटिया, सारे घर में ए. सी.लगे हुए हैं, उनको छोड़कर तुम यहां बाहर गर्मी में क्यों बैठी
Read Moreहे गणेश सज्जन का संग दो, सद्बुद्धि का दो वरदान, सत्पथ दिखला कर प्रभु हर लो, मेरे तन मन का
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