“दुर्मिलसवैया”
छंद दुर्मिल सवैया (वर्णिक ), शिल्प – आठ सगण, सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा , 112 112
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Read Moreमुक्त काव्य विश्वविद्यालय के परिसर की हँसती खिलखिलाती भीड़ की और मेरा वहाँ से निकलना हुआ मेरे साथ थी उत्कंठा
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Read Moreझुँझला गई विचित्रा जब सरिता ने उसकी एक रचना पर अपनी अभिव्यक्ति कुछ इस प्रकार से कर दिया। अरे विचित्रा,
Read Moreछंद, विधान~ [भगण मगण सगण+गुरु] ( 211 222 112 2, 10वर्ण,,4 चरण, दो-दो चरण सम तुकांत घाट बिना नौका कित
Read More“मुक्तक” बधाई हो सबको सम्मान का यह दिन। हिंदी माँग बिंदी बहुमान का यह दिन। परस्पर का नाता है भाषा
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