“गज़ल”
काफ़िया- अर, रदीफ़- जाना चाहिए, मात्रा भार- 24 ए जिंदगी तुझे अब सँवर जाना चाहिए अपने वजूद पर तो गुजर
Read Moreमाँ, अकारण चिंता करना छोड़ दो। मैं कोई वनवास को नहीं जा रहीं हूँ कि वहाँ जंगली जानवर मेरा शिकार
Read More*विधा :~ ◆वंशस्थ छंद◆* विधान~ [ जगण तगण जगण रगण] (121 221 121 212) 12वर्ण, 4 चरण, दो-दो चरण समतुकांत]
Read More“दोहा मुक्तक” भर लो चाह बटोर कर, रख अपने भंडार। खड़ी फसल यह प्रेम की, हरियाली परिवार। बिना खाद बिन
Read More“वंदगी में गंदगी” जिंदगी और वंदगी में गंदगी किसी की भी हो , कैसी भी हो, उसे स्वीकार करना उसको
Read More