“गज़ल”
वज़्न- 1222 1222 1222 1222, काफ़िया- आह, रदीफ़- हो जाए न जाने किस गली में कब सनम गुमराह हो जाए
Read Moreआज कल दूरदर्शन पर जितने मनोरंजन के चैनल हैं उससे कहीं अधिक समाचार के चैनल उपलब्ध हैं। हों भी क्यों
Read More“दोहा” मुरलीधर मनमोहना, आओ मेरे गाँव झूला झूले गोरियाँ, डाल कदम की छाँव।। “चौपाई” श्याम सखा मधुबन चित पाँती, चातक
Read Moreहम से हम हैं तुम से तुम कुछ नजदीक घराना होगा रूठा ही सही याराना होगा शब्दों के मतलब मर्म
Read Moreआज तो गजबे हो गया, रात को छोटकी भौजी की आवाज फोन पर सुनाई पड़ी। घबराई हुई थीं, रोते रोते
Read Moreएक बात मैं कहूँ मानलो, थे राणा बीरों के बाप भाला उनका उठा सके जो, वैसा कोई दिखा न ताप।।
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