कविता

हम और तुम…

हम से हम हैं तुम से तुम
कुछ नजदीक घराना होगा
रूठा ही सही याराना होगा
शब्दों के मतलब मर्म ही जाने
अपने अनुरूप गरिमा पहचाने
कभी कभी आहत कर जाते
कभी गले लग अश्रु बहाते
हम है किससे तुम हो किससे
किसका किससे नाता है
यह खुद को समझाना होगा।।
तेरा तूँ है मैं हूँ मेरा
तेरा तुझसे मेरा मुझसे
बैठा है तूँ चाह में कबसे
मैं को जाने माने मैं का
तूँ तूँ मैं मैं हुआ है किसका
मिलते दोनों बजती ताली
हाथ अकेला होता खाली
अंगुली है शोभा करतल की
मिले अंगूठा बढ़ती शक्ति
एक शरीर है नाता सबसे।।
ताल से ताल मिलाना होगा
हमको तुमको जतलाना होगा।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ