“मुक्तक”
अरमानों ने कर लिया, ढ़ूँढ ढ़ूँढ कर प्यार माँ ने ममता भर दिया, देकर चाह दुलार खर्च कर रहा हूँ
Read Moreशिक्षा सर्वोपरी हुई, ऋतु वर्षा का दौर छाता पोथी दफ्तरी, नेक बाल शिरमौर नेक बाल शिरमौर, लगन लग गई पढ़ाई
Read Moreकाव्य रचना……. चूहे ने फिर से कुतर दिया टगे हुए कुरते की कालर कहीं कतरन कहीं झालर मिला जमात को
Read Moreविधान- 27 मात्रा, 16,11 पर यति, अंत में गाल विशेष – सरसी = चौपाई + दोहा का सम चरण समान्त
Read Moreआज लपलपाती गर्मी में, तपती दोपहरी में, धूँआ सुलगाती सड़क के किनारें पसीना पोछते हुए झिनकू भैया दिख गए। ताज्जुब
Read More“जनहरण घनाक्षरी” फिर फिर अब तुम तन मन धन तुम रघुवर चित तुम अपलक रहिए।। नयन रमन तुम विनय चयन
Read More“हँसना मना है” सरल आसान स्वभाव बहूता परिचय कहत पाँव कर जूता सुखकर हितकर सहज सरुपा हाथ फिरे तो भागत
Read Moreनरमुंडों के बीच में, लिए हाथ कंकाल घूम रही तस्वीर है, मानव मृत्यु अकाल मानव मृत्यु अकाल, काल मानव के
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