गीत/नवगीत

गीत काव्य

“खड्ग कृपाण युद्द अनुरागे”

सीमा सुरक्षा बीर जवान

नियत पड़ोसी है बईमान

कब क्या कर दे ये हैवान

पाक तेरा नापाक विधान॥

कश्मीर भारत की शान

मानव मजहब है रहमान

छद्मी आतंकी तेरे गुमान

संबंधी सीमा लहूलुहान

सुन रे कायर घृणित नादान॥

घाती,कहता खुद को नायर

पीठ दिखाकर करता फ़ायर

शव का माथा काटे कायर

रे निर्लज्ज बेशरम का शायर॥

हया लाज सब धोकर पीता

दूसरों के टुकड़े पर जीता

गिरेबान तेरे साँप पलीता

जगा दिया तुमने मेरा चीता॥

अब खुद खैर मना अभागे

कब्र तेरी और तेरे चिरागे

तिलक लगाए मेरे सुभागे

खड्ग कृपाण युद्द अनुरागे॥

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ