“दोहा”
बुरा न मानों होली है…..रंग गुलाल रंगोली है……. होली होली सब कहें, होली किसके साथ हाथी चली न सायकल, रास
Read Moreघिरी हुई है कालिमा, अमावसी यह रात क्षीण हुई है चाँदनी, उम्मीदी सौगात हाथ उठाकर दौड़ता, देख लिया मन चाँद
Read More“चित्र लेखा” मंदिर मंदिर मन फिरे, प्रेम पिपासे होंठ बिना प्रेम मन मानवा, सूखे अदरख सोंठ सूखे अदरख सोंठ, सत्व
Read More“पथिक हूँ पथिक” रुक पा रहा हूँ न चल पा रहा हूँ पथिक मैं पथिक हूँ रगड़ खा रहा हूँ
Read Moreअति उत्तम, अति गंभीर व चिंतनशील विषय है “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कहाँ तक”। वाणी, प्रकृतिप्रदत्त एक ऐसा अनमोल खजाना है
Read Moreआओ चलें डगर बढ़ी, शीतल चाँद प्रकाश रजनी अपने पथ चली, शांत हुआ आकाश शांत हुआ आकाश, निरंतर शोर सुना
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