“हाइकु”
कोई तो आए मेरी प्यास बुझाए सूखे अधर॥-1 डोलता मन मचलता फागुन कोरी चुनर॥-2 परदेश में मेरे बालम सखी बैरन
Read Moreरंग भरी पिचकारियाँ, लिपटे अधर अबीर गोरी गाए फागुनी, गलियाँ क़हत कबीर॥ फागुन आई हर्षिता, मद भरि गई समीर नैना
Read Moreचुनाव हमारे जीवन का अंग बन गया है जो आए दिन कहीं न कही, कभी प्रादेशिक तो कभी राष्ट्रिय त्यौहार
Read Moreगर्मी त्रण सौ पैसठी, वर्ष एक उपहार कुछ नर्मी कुछ सर्दियाँ, कुछ चुनाव का भार कुछ चुनाव का भार, उठाती
Read Moreप्रयाग माधव माँ गंगा व त्रिवेणी संगम की पावन डुबकी से सराबोर होकर, वापसी की यात्रा शुरू हुई। प्रयाग मुड़ाये,
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