गीतिका/ग़ज़ल

“गीतिका”

कभी दिल्लगी में कभी वंदगी में

कभी जीत जाने की जिद जिंदगी में

कभी सो गया मैं कभी खो गया मैं

कभी फूल बन मैं खिला जिंदगी में॥

कभी द्वंद देखी कभी दी दुहाई

कभी दामिनी गिर पड़ी जिंदगी में॥

कभी पस्त था मैं कभी सुस्त साथी

कभी मस्त मौके मिले जिंदगी में॥

कभी चाँदनी भी बिछी हद पर मेरे

कभी श्याह बदरी घिरी जिंदगी में॥

कभी नभ निराशा हतासाई मौसम

कभी बर्फ गिरती रही जिंदगी में॥

कभी क्वार आया कभी पतझड़ी थी

कभी फाग फिरता मिला जिंदगी में॥

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ