मुक्तक/दोहा

“मुक्तक”

मापनी- 122 122 122 122

कहाँ से नहा चाँदनी आ गई री

किसी की वफा बेवफा छा गई री

दिखाती अमावस की काली घटा तूँ

हटा जुल्फ अपनी घिरी आ गई री॥-1

अभी सूख जाएगें पानी थिरा के

उगा आज सूरज किरनिया जगा के

चली जा अभी तूँ सुहानी जगह से

न बिजली गिरा रे बदरिया बुला के॥-2

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ