“हाइकू”
चंचल मन बिचलित आँगन चढ़ा बुखार॥-1 अरमानों में दिखता आकाश है गिरना तय॥-2 खिला गुलाब काटें चुभने लगे बढ़ा उन्माद॥-3
Read Moreहास्य व्यंग काव्य आज तड़के ही कबरी से मुकालात हो गई निकालने बैठा पसर भर दूध तो घात हो गई
Read Moreकुहरे से ढ़का हुआ आसमान दिखता निश्तेज है ठंड शेष है मथनी मथ रही है आँधियाँ जोर से कब उभरेगा
Read Moreक्या किया किसने किया यह क्यूँ किया, कुछ तो बता घर जला उसे सह लिया पर क्यूँ जला कुछ तो
Read Moreझिनकू भैया कल शाम को टघरते टघरते आये और बैठक में आसन जमा कर बैठ गए। पूछ लिया, आज शाम
Read More1- दिखता जो होता कहाँ, दृश्य धुंध नहि साँच, भाई बेटा द्वय सगे, किसको आए आँच किसको आए आँच, कौमुदी
Read Moreमात्रा भार- 32, 16-16 पर यति…..समांत- आ के, पदांत- न जा,…….. हँसा सकी न दर्द को मेरे, इनॉसुओं को रुला
Read Moreपाई पाई काट के, राखी चिल्लर जोड़ किल्लत की थैली लिए, उम्मीदों के मोड़ उम्मीदों के मोड़, बड़ी मुश्किल से
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