“पिंडिया”
पिंडिया लगाउंगी, सखियाँ बुलाऊंगी आज बाबुल दुवरा गोवर्धन बनाउंगी कजरी के गोबर व भइया के जौहर एक ही छलांगां पहाड़
Read Moreराम राम झिनकू काका, कैसे हैं आप…….सब खैरियत तो है न……… कब पधारे बबुआ, बहुत दिन बाद गांव याद आया………..ठीक
Read Moreभारी भीड़ लगी है मोल, रख अपना दरवाजा खोल छूट न जाए कोई होल, न कोई रगर न मोलतोल।।-1 पैसा
Read Moreजीवन यज्ञ प्रकाश हैं, यही तीज त्यौहार भर देते खुशियां शहर, आप लिए व्यवहार गाँव गिरांव सुदूर से, आशा लाए
Read Moreकणकण है बिखरा जगत, धरती करें पुकार माँटी माँटी पूछती, कहाँ चाक कुंभार कहाँ चाक कुंभार, सृजन कर दीया-बाती आज
Read Moreमदन छंद या रूपमाला छंद एक अर्द्धसममात्रिक छन्द है, जिसके प्रत्येक चरण में 14 और 10 के विश्राम से 24
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