समाज और हमारी व्यवस्था
प्लेटो ने कहा था, कि हम अंधेरे से डरने वाले बच्चे को आसानी से माफ कर सकते हैं; जीवन की
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Read Moreआज के दौर में राजनीति के रणबाँकुरे साम, दाम, दंड और भेद सभी का उपयोग सत्ता प्राप्त करने के लिए
Read Moreआज के दौर में राजनीति के रणबाँकुरे साम, दाम, दंड और भेद सभी का उपयोग करने लगें हैं। सत्ताशीर्ष पर
Read Moreकहे कबीरा निंदक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाय, बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय। आज के परिवेश से यह
Read Moreकहाँ तो तय था चरागां हर घर के लिए, यहां रोशनी मयस्सर नहीं है शहर भर के लिए। यह उक्ति
Read Moreकहे कबीरा निंदक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाय, बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय। आज के परिवेश से यह
Read Moreप्रौद्योगिकी के आविष्कार और नवाचारों ने मानव समाज के संचार और संवाद में क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया है। ऐसे में
Read Moreदेश की रीढ़ कृषि और भविष्य निर्माण करने वाली शिक्षा व्यवस्था दोनों की स्थिति नाजुक है। एक तरफ देश का
Read Moreडॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के मुताबिक दर्शन का उद्देश्य जीवन की व्याख्या करना नहीं, जीवन को बदलना है। ऐसे में अगर
Read Moreस्वामी विवेकानंद ने अपने वक्तव्य में कहा है, कि हिन्दू समाज में से एक मुस्लिम या ईसाई बने, इसका मतलब
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