पुरुषार्थ से पुरुष
पुरुषवादी जगत में पुरुष है सृष्टि का बीज संतति की वंश वृद्धि का स्रोत अनेक रिश्तों से अलंकृत माँ – पिता
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Read Moreसरोजनी प्रीतम का व्यंग्य कितना सार्थक है आज के परिपेक्ष्य में- ‘पुस्तक मेला भी पशु मेला नजर आया . काला
Read Moreपिता के उपकारों का, है ना कोई छोर. नहीं है जग में दूजा, उन -सा कोई ओर. १ गोदी में
Read Moreदेश – जगत में हो रहा, जनसंख्या विस्फोट. दूसरे नंबर भारत, वृद्धि मारे चोट . १ ग्यारह जुलाई मनाय, ‘
Read Moreकिताबें तो ज्ञान का सूरज होती हैं जीवन में ऊर्जा, ज्ञान प्रकाश से मार्ग दर्शन करती हैं समाज, देश, काल
Read Moreमातृ दिवस की शुभकामनाओं के साथ माँ पर हाइकु प्रेषित कर रही हूँ – १ माँ का प्यार मन उड़ानों
Read Moreपिता के उपकारों का, है ना कोई छोर. नहीं है जग में दूजा, उन-सा कोई ओर. १ ईश्वर प्रतिरूप पिता,
Read Moreश्रम के बल पर जहान का आशियाँ बनाती नींव में अपने दर्द की दास्तां छिपाती . मजबूरियों की आँच
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