मुक्तक/दोहा

दोहे में पिता

पिता के उपकारों का, है ना कोई छोर.
नहीं है जग में दूजा, उन-सा कोई ओर. १

ईश्वर प्रतिरूप पिता, दें संतति आकार.
पाटे बचपन की नींव. दे कर के संस्कार

गोदी में खिलाकर के, करें हैं लाड़-प्यार.
जिदें को पूरी करके, खुशियाँ देय अपार. ३

जीवन के संरक्षक बन, करते सारे काम.
प्रथम कदम चलना सिखा, ले अंगूली थाम. ४

जब नहीं आय ककहरा, सिखाते कई बार.
बनकर शिक्षक जीवन के, बनाते होनहार. ५

वेद, पुराण,गीता-से, देय हैं गूढ़ ज्ञान.
ठोस भविष्य गढ़ कर के, दें कल को सौपान. ६

नारियल सम दिखे पिता, बाहर कठोर रूप.
मन गिरी सम मुलायम, स्नेह थाप अनुरूप. ७

खिले सभी जीवन चमन, मिले पिता का प्यार.
बिना पिता के जगत में, जीवन जीना भार. ८

पिता प्राण का आधार, दें संतति को प्यार
दोषों पे पर्दा डाल, खोल देय उर द्वार. ९

दर्द-पीड़ा सहकर के, बड़ा करे संतान.
अपनी खुशी त्याग के, बनते पिता महान. १०

पिता शब्द में भरी है, चासनी-सी मिठास.
जीवनभर देय दुलार, लुटाते खुशी, हास. ११

खुदा की सत्य इबादत, पिता लगे भगवान.
बनके परिवारिक धुरी, चलाते घर-जहान. १२

लगे अनंत की महिमा, हैं सद्गुण की खान.
हैं संसार का गौरव, कैसे करूँ बखान ?१३.

जगत में चमके ऐसे, जैसे सूर्य प्रकाश.
शिक्षित कराके हमें दें, ज्ञानों का आकाश. १४ ्

दिल दर्पण टूट जाए, बाँधे ढाढस डोर.
उलझनों के घेरों की , बनते सुलझी भोर. १५

दुख,पीड़ा, तकलीफ में, मन-तन करें विलाप.
दौड़े आते तब पिता, करें नेह आलाप. १६

सम्पूर्ण हितों को सोच, करें चरित्र निर्माण.
बनाके हमें बेहतर, मिले सुखद परिणाम. १७

पिता के आगे लगता, है फीका संसार.
वेदों की ऋचाओं- से, देते जीवन सार. १८

कथनी-करनी में नहीं, करें कभी वे भेद.
अनुशासन की हदों में, जीवन बनाय नेक.

छल, वैर, द्वेष-भाव की, तोड़े हैं दीवार.
सिखाय सदाचार पाठ, निंदा पर कर वार. १९

संकट के कवच बनकर, ना आने दें आँच.
निस्वार्थ करते पोषण, है जीवन का साँच. 20

भोर की लाली से बन, देय सुखों की छांह.
पीर,पराइ,परहित में, आश्रय देती बाँह. २१

करूँ तात सौ-सौ नमन, हो तुम सूरज-चाँद.
रात-दिन परिश्रम कर के, करें धूप में छांह. २२

पिता के पग में होता, पावन तीरथ धाम.
फर्ज की समिधा में तप, करें सकल जग काम. २३

करते कुकर्म से विमुख, सही रास्ता दिखाय.
मूल्यों की रेखा खींच, दोष को हैं मिटाय. २४

जब होते दुख में दुखी, धीरज लेप लगाय.
जब होते सुख में सुखी, वे फूले न समाय. २५

कुंटुब इमारत के वे, कितनी गहरी नींव.
पूरे घर को जोड़ते, दें के नैतिक सीख. २६

पलकों के पालने में, सुला लोरी सुनाय.
बनाकर राजा-रानी,नई दुनिया बनाय. २७

बाल बांका कर न सके, विपत्तियों की आग.
बने रक्षा कवच उनका, जीवन का है त्याग. २८

है सब रिश्तों से बढ़कर, शिखर पिता का एक
भर-भर देते आशीष, फले जीवन अनेक. २९

दर्द, गम के अश्रु पी कर, दें सुख के अंबार
करते दुखों से निजात, करें उन्हें गुलजार. ३०

बचपन से हँस खेल कर, चढ़ी परवान प्रीत.
बने जब घुड़सवार वे, होती उनकी पीठ. ३१

बच्चों की खुशियों में वे, जोड़े हैं दिल तार.
अश्रुओं को भी हँसाकर, देते प्यार-दुलार. ३२

मेरी हर धड़कनों में, सदा उनका निवास.
करती ‘मंजू’ वंदगी, कृपा का हो वास. ३३

कृतज्ञ आपके ऋण से,, दीन्हें प्रेमाकाश.
समता को सिखलाकर, भरा आस-विश्वास. ३४

मंजू गुप्ता 

मंजु गुप्ता

जन्म : २१. २. १९५३ , ऋषिकेश , उत्तरांचल शिक्षा : एम.ए ( राजनीति शास्त्र ) , बी.एड शिक्षण : हिंदी शिक्षिका, जयपुरियार सीबीएससी हाईस्कूल, सानपाड़ा नवीमुंबई संप्रति : सेवा निवृत मुख्य अध्यापिका , श्री राम है स्कूल , नेरूल , नवी मुंबई। कृतियाँ :प्रांतपर्वपयोधि काव्य,दीपक नैतिक कहानियाँ,सृष्टि खंडकाव्य,संगम काव्य अलबम नैतिक कहानियाँ , भारत महान बालगीत सार निबंध,परिवर्तन कहानियाँ। प्रेस में : जज्बा ( देश भक्ति गीत ) रुचियाँ : बागवानी , पेंटिंग , प्रौढ़ शिक्षा और सामाजिकता प्रकाशन : देश - विदेश की विभिन्न समाचारपत्रों ,पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। उपलब्धियां : समस्त भारत की विशेषताओं को प्रांतपर्व पयोधि में समेटनेवाली प्रथम महिला कवयित्री , मुंबई दूरदर्शन से सांप्रदायिक सद्भाव पर कवि सम्मेलन में सहभाग , गांधी जीवन शैली निबंध स्पर्धा में तुषार गांधी द्वारा विशेष सम्मान से सम्मानित , माॅडर्न कॉलेज वाशी द्वारा सावित्री बाई फूले पुरस्कार से सम्मानित , भारतीय संस्कृति प्रतिष्ठान द्वारा प्रीत रंग में स्पर्धा में पुरस्कृत , आकाशवाणी मुंबई से कविताएँ प्रसारित , विभिन्न व्यंजन स्पर्धाओं में पुरस्कृत, दूरदर्शन पर अखिल भारतीय कविसम्मेलन में सहभाग । सम्मान : वार्ष्णेय सभा मुंबई , वार्ष्णेय चेरिटेबल ट्रस्ट नवी मुंबई , एकता वेलफेयर असोसिएन नवी मुंबई , मैत्री फाउंडेशन विरार , कन्नड़ समाज संघ , राष्ट्र भाषा महासंघ मुंबई , प्रेक्षा ध्यान केंद्र , नवचिंतन सावधान संस्था मुंबई कविरत्न से सम्मानित , हिन्द युग्म यूनि कवि सम्मान , राष्ट्रीय समता स्वतंत्र मंच दिल्ली द्वारा महिला शिरोमणी अवार्ड के लिए चयन आदि। संपर्क :19, द्वारका, प्लॉट क्रमांक 31, सेक्टर 9A वाशी, नवी मुंबई400703 भारत . फोन : 022 - 27882407 / 09833960213 ई मेल : writermanju@gmail.com

2 thoughts on “दोहे में पिता

  • मंजु गुप्ता

    लीला जी आपका आभार मनोबल बढाने के लिए .

  • लीला तिवानी

    प्रिय सखी मंजू जी, पिता की महत्ता को दर्शाने वाले अति सुंदर दोहों के लिए आभार.

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