कविता
कविता सरस सुवासित परम् मनोहर प्रातः बेला सुखद सुहावन । नवल सूर्य की नवल रश्मियाँ सदा बनाएं जग को पावन
Read Moreहम अर्चना करेंगे ~~~~~~~~~~ हे वंदनीय भारत अभिनंदनीय भारत , जीवन सुमन चढ़ा कर आराधना करेंगे | तेरी जनम जनम
Read Moreदिलों दिलों में जहाँ राबता निकल आये| पत्थरों में जो बसा वो खुदा निकल आये | तलाशते थे जिसे हम
Read Moreवफ़ा वो उनसे निभा रहा था | चरागे उल्फत जला रहा था | मुहब्बतों का चमन खिला कर वो दिल
Read Moreफूल परी ******** मलिका के पिता ने दूसरी शादी क्या की उसकी किस्मत ही फूट गयी । सौतेली माँ से
Read Moreप्रतिबिम्ब ******** विवाह के बाद विधि की सारी दिनचर्या ही बदल कर रह गयी | पढने पढाने की शौकीन विधि
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