गीतिका/ग़ज़ल

मोहब्बत

मोहब्बत से भरा दामन कभी मिटता नहीं
दुआओ का असर खाली कभी जाता नहीं |

फना उनकी मोहब्बत मे हुये है इस कदर
मोहब्बत वो बला है कुछ समझ आता नहीं |

बड़ी शिद्दत से चाहा हम किये उनको मगर
मोहब्बत ने मोहब्बत को कभी पाया नहीं |

मोहब्बत से भरा दामन जिन्होने सच कहे
उन्हे कोई खजाना रास फिर आता नहीं |

निगाहे हों मेहरबाँ यार की सच मानिये
भरे हर जख्म पल में दर्द गहराता नहीं |

मोहब्बत का कोई मज़हब नहीं होता”मृदुल”
मोहब्बत के बिना स्वीकार है पूजा नहीं |
मंजूषा श्रीवास्तव”मृदुल”

*मंजूषा श्रीवास्तव

शिक्षा : एम. ए (हिन्दी) बी .एड पति : श्री लवलेश कुमार श्रीवास्तव साहित्यिक उपलब्धि : उड़ान (साझा संग्रह), संदल सुगंध (साझा काव्य संग्रह ), गज़ल गंगा (साझा संग्रह ) रेवान्त (त्रैमासिक पत्रिका) नवभारत टाइम्स , स्वतंत्र भारत , नवजीवन इत्यादि समाचार पत्रों में रचनाओं प्रकाशित पता : 12/75 इंदिरा नगर , लखनऊ (यू. पी ) पिन कोड - 226016