बेटियाँ
बेटियाँ बेटियाँ हैं हसरतें दिल की कली- छोड़ दूजे घर बसें दस्तूर है | प्रेम के रस में पगी रस
Read Moreसुमन की चहकन से घर का कोना कोना चहका करता था |विवाह के बाद घर सूना हो गया एक उदासी
Read Moreअप्रैल का महीना और गर्मी का ये आलम ,शीला का गर्मी के मारे बुरा हाल था | “सुनो जी !
Read Moreदरश की लालसा मोहन के जब तक साँस बाक़ी है | पियूँ नित नाम रस प्याला मिलन की प्यास बाक़ी
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