गजल
थी खफ़ा जिंदगी ये हकीकत रही l आरज़ूओं में लिपटी मुहब्बत रही l दर्द ग़म को भुला बढ़ चले राह
Read Moreरविवार 30 जुलाई, को भव्या फाउंडेशन के तत्वाधान में कैंसर पीड़ितों और शारीरिक रूप से अक्षम और आटिज्म वर्रिएर्स बच्चों
Read Moreहे डमरु धर हे शशि शेखर,हे गंगाधर हे अभयंकर |पीकर के गरल सरस करते,जग-जीवन को जड़ चेतन को | तर
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