Author: *मनमोहन कुमार आर्य

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

सात्विक धन एवं पुण्य कर्म ही लोक-परलोक में जीवात्मा के सहायक

ओ३म् मनुष्य को अपना जीवन जीनें के लिए धन की आवश्यकता होती है। भूमिधर किसान तो अपने खेतों में अन्न

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

क्या आप तीन अनादि पदार्थों को जानते हैं?

ओ३म् हम संसार में जन्म लेकर आंखों से अपने सम्मुख विचित्र संसार को देखते हैं तो इसकी सुन्दरता एवं विविध

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ईश्वर के सत्यस्वरूप के ज्ञान तथा वेद प्रचार से युक्त जीवन ही सर्वोत्तम एवं श्रेयस्कर है

ओ३म् हम वर्तमान में मनुष्य हैं। हम इससे पहले क्या थे और परजन्म में क्या होंगे, हममें से किसी को

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ऋषि दयानन्द ने सबसे पहले विद्रोह की आवाज उठाईः डा. सोमदेव शास्त्री

ओ३म् [निवेदन- स्वाध्याय व ज्ञान की दृष्टि से महत्वपूर्ण आज हम डा. सोमदेव शास्त्री, मुम्बई का देहरादून के गुरुकुल पौंधा

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

सृष्टि की आदि-ज्ञान-पुस्तक वेद का महत्व और हमारा कर्तव्य

ओ३म् ऋषि दयानन्द ने अपना जीवन ईश्वर के सत्यस्वरूप की खोज एवं मृत्यु पर विजय पाने के उपायों को जानने

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

मनुष्य की ही तरह पशु-पक्षियों को भी जीनें का अधिकार है

ओ३म् परमात्मा ने संसार में जीवात्माओं के कर्मों के अनुसार अनेक प्राणी-योनियों को बनाया है। हमने अपने पिछले जन्म में

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ऋषियों का सन्देश कि संसार के सभी प्राणियों में एक समान आत्मा है

ओ३म् हम मनुष्य हैं। हम वेदों एवं अपने पूर्वज ऋषियों आदि की सहायता से जानते हैं कि संसार में जितनी

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

वेद न होते तो सनातन धर्म, राम, कृष्ण और दयानन्द भी न होते

ओ३म् वेद शब्द का अर्थ ज्ञान है। वेद नामी ज्ञान ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवं अथर्ववेद नाम की चार मन्त्र संहिताओं

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

महर्षि दयानन्द की प्रमुख देन चार वेद और उनके प्रचार का उपदेश

ओ३म् महर्षि दयानन्द ने वेद प्रचार का मार्ग क्यों चुना? इसका उत्तर है कि उनके समय में देश व संसार

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ऋषि दयानन्द की एक प्रमुख देन सृष्टि का प्रवाह से अनादि होने का सिद्धान्त

ओ३म् ऋषि दयानन्द ने देश और संसार को अनेक सत्य सिद्धान्त व मान्यतायें प्रदान की है। उन्होंने ही अज्ञान तथा

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