मां, तुम कितनी अच्छी हो ! -2
मां, मैं आ भी जाती दुनिया में, तो बापू के कहने पर, भैया मुझे दसवीं मंजिल से फेंक देते, या
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Read More(यह मार्मिक कविता कोख में एक लड़की का अंतिम बयान है.) मां ! तुम कितनी अच्छी हो, तुम दूरदृष्टा हो,
Read Moreयह आश्चर्य और अत्यन्त दुःख की बात है कि अधिकांश उच्च शिक्षित भारतीय नागरिक अपनी परम्पराओं को अवैज्ञानिक और हेय
Read Moreसाहब बाबू अंगरेजों की नक़ल करते हुए हमने कई पाश्चात्य परम्पराओं को बिना सोचें समझें ज्यों का त्यों अपना लिया
Read Moreहमारे यहां बचपन से ही बच्चों को अपने से बड़ों के अभिवादनस्वरूप चरणस्पर्श या हाथ जोड़कर नमस्कार करने के संस्कार
Read Moreजल्दी जागने के विषय में कुछ शास्त्रोक्त निर्देश पढेंगे तो जान सकेंगे कि प्रकृति और मानव के अन्तर्सम्बन्धों पर हमारे
Read More“अतिथि देवो भव” के संस्कारों से ओतप्रोत आपके घर में जब कोई अतिथि किसी भी प्रयोजन से आता है तो
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