ग़ज़ल : एक लम्हा ज़हन पे तारी है
एक लम्हा ज़हन पे तारी है फिर भी मन की उड़ान जारी है किस तरह दिल को अपने समझाएं खेलना
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Read Moreखाना खाओ भरपेट मियाँ वो मिले प्लेट या दोने में तुम ढूंढ रहे हो जाने क्या दुनिया के कोने कोने
Read Moreदेखे हैं आजकल के ये रिश्ते कमाल के भौजाई बड़ी खुश है ननद को निकाल के ससुराल गजब की मिली
Read Moreहम कितने लाचार हो गये रद्दी का अखबार हो गये बीच भंवर में डूबी नौका समझे हम तो पार हो
Read Moreकल तक दावा था यह घर मेरा है सत्य यही है यह तो रैन बसेरा है सफर रूह का जब
Read Moreकागजी हैं दोस्त सब बातें बनाना जानते हैं गम मेरा सबसे बड़ा वो ये जताना जानते हैं कहां से आ
Read Moreकिचन में मिल गए हो तुम सहारा हो तो ऐसा हो जिधर देखूं तूम्हीं तुम हो नजारा हो तो ऐसा हो पडे
Read More-१- हंसी खुशी का मौज मजे का होली का त्योहार जिस पर पडे रगं का छींटे,बुरा ना माने यार मिटाती नफरत
Read Moreलैला लैला रटते रटते मंजनू हुआ दीवाना था यह भी मोदी मोदी रटते पागलखाने जाएंगे लेकिन जब इतिहास लिखा जाएगा
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