ग़ज़ल
दो घड़ी मैं जो अगर मेरे चांद से बातें कर लूं ।दूसरे ही दिन ख़बर अख़बार में आ जाती है।
Read Moreमेघा गरजो और ज़ोर से बरसो न।भिगा दो तन मन। उन्हें बुलाओ न।इन बूंदों में भीगु, मगन मतवाला मैं।गीत मधुर
Read Moreवक़्ते जुदाई मुस्कुरा कर कह गया वो शख़्स मिलेंगें फ़िर कभी,अजनबी तो था, दो पल का मुसाफ़िर,(परदेशी) उसको यक़ीन कितना
Read Moreइज़हारे वफ़ा का वो पल सुहाना जो था,याद तो आता होगा।माज़ी का वो लम्हा कभी कभी तुमको भी तो रूलाता
Read Moreहमें इतनी फुर्सत कहां थी कि हम चले ही आते मुश्ताक़।तुमने हमें ना बुलाकर हाले दिल अपना बयां कर ही
Read Moreचेहरे पर मेरे अपनी जुल्फ़ों को गिराया उसने ,आतिशे शोक़ को मेरे और बढ़ाया उसने ।ताल्लुक़ तो कुछ भी गहरानहीं
Read Moreदिल की गहराई मेंजब कोई उतर जाता है ,सच कहता हूँ मैं , जीने काअंदाज़ बदल जाता है ।मेरे सरकार
Read More