ग़ज़ल
क्यों लिखता है ग़ज़ल कोई जानता नहींउसको मिला है धोखा कोई मानता नहींखुद बढ़ो आगे तलाश करलो मंज़िल कोनसीब किसी
Read Moreबेवफ़ाई उसने मुझसे की है ,और कोई तो बात नहीं है।तुम बुलाओ और मैं न आऊं ,ऐसी तो कोई बात
Read Moreयाद मुझकों मोहब्बत के वो ज़माने आएआज हाथों में मेरे, ख़त वो तेरे पुराने आएहम न होंगे तो फिर किससे
Read Moreये आइनों का शहर है , खुशनुमा कितना, पत्थरों का यहाँ बाज़ार गर्म है कितना, उन के दीदार से मरीज़े इश्क़ पे
Read Moreसखियों ने जो तेरी पूछा तो बताना पड़ा मुझे । कई थे खत तेरे पास मेरे दिखाना पड़ा मुझे ।
Read Moreभूल पाओगे क्या . तुम सच बता दो हमको । नहीं तो फिर सलाह ये , हमें देते क्यों हो ? देखा
Read Moreहां आरज़ूओं की तरह था, मुझको तो वो तस्स्वुर में मिला था। दुनिया का उसे डर था, मुझसे वो ख़्वाबों
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