राम बन लड़ लीजिये
भीतर के रावण से खुद ही राम बन लड़ लीजिये। ये करारी ज़िद्द हो तो फिर बेधड़क अड़ लीजिये।। वेद
Read Moreभीतर के रावण से खुद ही राम बन लड़ लीजिये। ये करारी ज़िद्द हो तो फिर बेधड़क अड़ लीजिये।। वेद
Read Moreरेल चली भई छुक छुक छुक। हमने बोला रुक रुक रुक। ड्राइवर था वो बड़ा सयाना। उसने पूछा कहाँ
Read Moreसृजन पथ पर बढ़े अगर, तो बाधाएँ संग आएँगी। शूल बिछा कर पग पग पर, तुझे देख देख मुस्काएंगी।
Read Moreइंद्रधनुषी फूलों की सजावट और सुगंध हर और छाई थी। शर्मीले पुष्पों से बनी मालाएं वातावरण को मनमोहक बनाने में
Read Moreतेरे खेल निराले रे मन! तेरे खेल निराले। रेत बिछा कर उस पर तू, कागज़ के महल बनाए, रंग बिरंगी
Read More‘माँ देखो न मेरे दाँत कितने चमकीले हैं … हैं न?’ ‘हाँ पर तुम्हे इनका ध्यान रखना चाहिए… नही तो
Read Moreदुनिया के इस रंगमंच पर बस किरदार बदलते हैं।। अल्फ़ाज़ साज़ नाटक वो ही तारीख-वार बदलते हैं।। कब पाँव की
Read Moreबदलाव का है दौर मै क्यों नही बदला। है दूर तलक शोर मै क्यों नही बदला। जाहिद मुरीद और हबीब
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