लघुकथा

करवाचौथ

 

‘अरे ज़रा नमक लेती आना सब्ज़ी में कम रह गया है और रोटी ज़रा पतली …’ वाक्य अधूरा रह गया विद्यादत्त का

‘कभी कभार नमक कम भी खा लोगे तो कुछ बिगड़ेगा नहीं तुम्हारा… एक ओर मैं सुबह से भूखी प्यासी तुम्हारे लिए व्रत रखे हूँ … उस पर से काम में भी लगी हूँ और तुम हो कि तुम्हारे नखरे ही नहीं खत्म होते…’ सुमित्रा ने मुंह बिचकाते हुए कहा

‘अरे तो मत रखो न व्रत … किसने कहा तुम्हे? तुम्हारे व्रत रखने न रखने से मेरी उम्र पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा सुमित्रा… ‘ विद्यादत्त ने सुमित्रा को छेड़ा।

‘हाँ हाँ मुझे ही दोषी बनाओ तुम तो… ज़रा सीखो अपने भाई से कुछ। पिछले बीस साल से देख रही हूँ … हर करवाचौथ से पहले अपनी पत्नी को उसकी पसन्द की साड़ी दिलवाता है, त्योहार पर पत्नी का हाथ बंटाता है और क्या जाने पत्नी के लिए व्रत भी रखता हो और एक तुम … आज के दिन भी दाल सब्ज़ी में मीनमेख निकलने से बाज़ मत आना …’ सुमित्रा बोली

अब इसमें साड़ी की बात कहाँ से आ गयी सुमित्रा… खैर छोड़ो मैं ज़रा बाहर हो कर आता हूँ…

‘हाँ हाँ बाहर ही रहो तुम आज भी, मेरी फिक्र ही क्यों हो… जब न रहूँगी न तब याद करोगे मुझे…’

‘अब ये क्या फिजूल बात है … अच्छा नहीं जाता बाहर बस खुश…’ विद्यादत्त ने हथियार डालते हुए कहा

‘तुम जाओ… मैं भी पड़ोस में कथा सुनने जा रही हूँ… और हाँ रात के खाना हल्का ही बनाउंगी नहीं तो फिर तबियत बिगड़ेगी तुम्हारी…’

‘बाबूजी आपने फिर माँ की तस्वीर नीचे उतार ली…’ शिखा की आवाज़ ने अतीत के अँधेरी गलियों में चक्कर लगाते विद्यादत्त को बाहर आने पर मजबूर कर दिया।

‘वो कुछ नहीं बहु… धूल चढ़ गई थी तस्वीर पर तो सोचा आज साफ़ कर के फिर लगा दूँ दीवार पर…’ अपनी आँखों की नमी छुपाते हुए चोर नज़रों से इधर उधर देख कर कहा गया था ये गीला सा वाक्य।

‘अच्छा बाबूजी मैं पड़ोस में करवाचौथ की कथा सुनने जा रही हूँ… खाना रखा है बाहर टेबल पर खा लीजियेगा। और हाँ खाने में मिर्च मसाले आज मेरे हिसाब से हैं मैनेज कर लीजियेगा आप’ … बेपरवाही से बोलते हुए बाहर जा चुकी थी शिखा।

‘तुम सच कहती थी सुमित्रा… तुम्हे बहुत याद करूंगा तुम्हारे जाने के बाद मैं… खासकर करवाचौथ पर तो….’ झूठी सी मुस्कुराहट लिए सुमित्रा की तस्वीर पर हार चढ़ाने लगे विद्यादत्त।

*डॉ. मीनाक्षी शर्मा

सहायक अध्यापिका जन्म तिथि- 11/07/1975 साहिबाबाद ग़ाज़ियाबाद फोन नं -9716006178 विधा- कविता,गीत, ग़ज़लें, बाल कथा, लघुकथा