Author: तनूजा नंदिता

कविता

प्रेम दीवानी

सोचा जो कभी प्रेम तुम बहुत करीब से गुज़रे.. सुबह ख्यालों में  साथ दिन तो इधर-उधर गुज़रे.. सांझ पहर साँसों में बेचैनी तन्हाई भरी हर शाम गुज़रे… होठों  पर फरियाद बुनो चाँद को देख रात गुज़रे .. एक तुम्हारा चेहरा मुस्कुराता मेरे दिल का वो सुकून दिलाता … उम्र भर प्रेम में तुम अपने जीवन संग तुम में गुज़रे… और आखरी साँसों तक तुम्हारे नाम से गुज़रे…!! — नंदिता

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