दरारें…!!
घर की चारदीवारी हो या एहसासों की दीवार… कुछ समय की अटखेलियां तो कभी रिश्तों की मार… धीरे-धीरे ही कमजोर
Read Moreजानती हूँ जितनी वफ़ा मैं जीती उसकी दो गुनी सांसे तुम्हारी है… रातें, लम्बी गहरी काली खामोश… फिर भी जिंदगी
Read Moreइक सांस का बहाना बहुत है जिंदगी के लिए.. तमाम उम्र बीत जाये… इसी बहाने जिंदगी के लिए… कभी अपने
Read Moreतुझे बहुत आहिस्ता से लिखना ऐ- मेरी ज़िंदगी कि हर वक़्त तो बस मुस्कुराते मिली कुछ आहिस्ता हम जी रहे
Read Moreकब हासिल छीन के ए- सुनो, तुम्हें इश्क़ देखती रही बस तुम रूह उकेरते रहे… बातों की साज़ में हम-तुम
Read Moreरात गहरी औ आसमां में छायें सितारे ख्वाहिशों की तरह…. बस तुम चले आना.. ख़यालों में औ चांद कर जायें
Read Moreतेरा मिलना कितना सुहाना लगता है मुझसे रिश्ता सदियों पुराना लगता है… देखा जब से तेरे आँखों में सनम दिल
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