ग़ज़ल – क्या करूँगा मौत को पहचान कर
मौत का जारी कोई फरमान कर । हो सके तो ऐ ख़ुदा एहसान कर ।। जिंदगी तो काट दी मुश्किल
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Read Moreअदा के साथ ऐ ज़ालिम, ज़माने छूट जाते हैं । मुहब्बत क्यों ख़ज़ानो से ख़ज़ाने छूट जाते हैं ।। तजुर्बा
Read Moreशर्मो हया के साथ कुछ दीवानगी पढ़ने लगी। वो सुर्खरूं चेहरे पे कुछ आवारगी पढ़ने लगी ।। हर हर्फ़ का
Read Moreतू न मेरा हो सका तो क्या हुआ । हो गया है फिर जुदा तो क्या हुआ ।। हम सफ़र
Read More221 2121 1221 212 हर मयकशी के बीच कई सिलसिले मिले । देखा तो मयकदा में कई मयकदे मिले ।।
Read Moreबहरे ख़फ़ीफ़ मुसद्दस् मख़बून फाइलातुन मुफाइलुन् फेलुन 2122 1212 22 उन अदाओं में तिश्नगी होगी । कोई खुशबू
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