तन्हाई
ट्रक लेकर आसाम से लौटा गुरदित्ता हैरान था | हर बार उसकी बीबी उसको मिलकर हिरनी से उतावली कुलाचे भरउठती
Read Moreभारतीय समाज में स्त्री-पुरुष की बराबर की भागेदारी है, अपने अपने दायरे हैं, अपने अपने क्षेत्र हैं. पुरातन काल में जब
Read Moreकितनी मुश्किल से मनाया था उसको मिलने को, एक वक़्त था एक दिन भी बिना मिले रह नही पाती थी
Read Moreसुबह से शाम तक चक्कर घिन्नी सी घूमती कभी आँगन से गुसल तक कभी चौके से देहरी तक कभी हाथ
Read More“कुसुम !!! यह सब क्यों हुआ मैंने कभी सोचा भी नही था ऐसा!! हाय रे मैं मर क्यों नही गया
Read Moreचुप्पियाँ जब गूँज बनकर दिमाग में धमकने लगे और खामोशियाँ भी खुद से गुफ्तगू करने लगे तब मेरे लफ्ज़ मुझे
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