कविता

चाहे-अनचाहे शब्द

चुप्पियाँ
जब गूँज बनकर
दिमाग में धमकने लगे
और
खामोशियाँ भी
खुद से गुफ्तगू करने लगे
तब
मेरे लफ्ज़
मुझे राहत देते हैं
अनजाने में
अनचाहे शब्द भी
जब
कलम से निकलते हैं
कुछ
बहने लगता हैं भीतर
शायद
चुप्पी से जन्मा गर्दा
ख़ामोशी से पनपा लावा
अपनों पर बरसे
इसके पहले
उतार लेती हूँ
इन्हें
कागज के मासूम टुकडो पर
यह कागज के टुकड़े
जो बलि चढ़ जाते हैं
मेरे मौन की
और
बना जाते हैं मुझे
मजबूत
फिर से
लड़ने को अपने
एकांत से
मौन रहना
मेरी आदत नही हैं
नियति बन रही हैं
सुनो ना !
कुछ पल मेरे साथ रहो
कुछ मुझे पढो
कुछ पढ़वाओ
मुझे भी जीना है
तुम्हारे
प्रेमासिक्त शब्दों के शोर में
………..नीलिमा शर्मा Nivia

 

नीलिमा शर्मा (निविया)

नाम _नीलिमा शर्मा ( निविया ) जन्म - २ ६ सितम्बर शिक्षा _परास्नातक अर्थशास्त्र बी एड - देहरादून /दिल्ली निवास ,सी -2 जनकपुरी - , नयी दिल्ली 110058 प्रकाशित साँझा काव्य संग्रह - एक साँस मेरी , कस्तूरी , पग्दंदियाँ , शब्दों की चहल कदमी गुलमोहर , शुभमस्तु , धरती अपनी अपनी , आसमा अपना अपना , सपने अपने अपने , तुहिन , माँ की पुकार, कई वेब / प्रिंट पत्र पत्रिकाओ में कविताये / कहानिया प्रकाशित, 'मुट्ठी भर अक्षर' का सह संपादन

2 thoughts on “चाहे-अनचाहे शब्द

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत खूब !

    • नीलिमा शर्मा (निविया)

      shukriyaa ji

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