कविता~~”नया अध्याय”~~
लिखना था मुझे एक काव्य नया लिख बैठी मैं महाकाव्य नया वर्णन जो किया वो अथाह हो गया रुकी न
Read Moreलिखना था मुझे एक काव्य नया लिख बैठी मैं महाकाव्य नया वर्णन जो किया वो अथाह हो गया रुकी न
Read Moreन मन में कोई रास है झरे झरे से पात हैं बची न कोई आस है ये कैसी उदास रात
Read Moreऐ प्रेम पथिक तू ठहर ज़रा ये कली अभी खिल जाने दे शलभों के जैसे प्राण न त्यज ये दीप
Read Moreआज तुम नहीं हो हैं साथ तुम्हारी यादें, दिल में जब यादों का समुन्दर उफनता है अश्क़ों का सैलाब उमड़
Read Moreप्रचण्ड अनल सी उठती ज्वाला खड़ी “धूप साये” में बाला नीर भरे थे नयन सजल बीते कैसे प्रतीक्षित पल निरखि
Read Moreएक अनोखा एहसास हाथ में तेरा हाथ नहीं लगते अजनबी जब होते तुम साथ। प्रेम का प्रथम चरण दिल में
Read Moreमैं हूँ आज की नारी जीती हूँ वर्तमान में लेना चाहती सांस खुली हवा में न छीनो मुझसे मेरा हक़
Read Moreउफ़ ये क्या ! पड़ोस से रोने का स्वर आया मन करुण रस से भर गया खोला दरवाज़ा ये कैसा
Read Moreबात उस समय की है जब मैं बहुत छोटी थी लगभग सात आठ वर्ष की। हमारे पड़ोस में रहने वाली
Read Moreजीवन के रंगों में कई मौसम आये और गए, कभी ख़ुशी के कमल खिले कभी गम के छीटें पड़े, कभी
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