Author: नीरजा मेहता

कविता

कविता : ज़िन्दगी एक पहेली

ज़िन्दगी आदि से अंत तक शाश्वत किन्तु क्षणिक विस्तृत किन्तु संक्षिप्त विचित्र किन्तु सत्य अलबेली किन्तु नित्य चिर-परिचित किन्तु अकाल्पनिक

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