मुक्तक
ख्वाब को आंसुओं में बहाते नहीं आस के दीप को यूं बुझाते नहीं जो चुनी मंजिलें प्राप्त उनको करों मोड़
Read Moreक्यों पंख समेटे पिंजरे में, टकटकी लगाए अम्बर में। आकर प्रपंच की बातों में, खुद को सौंपा किन हाथों में।
Read Moreवर्षों से सम्भाल रखा है अपने हृदय में मेरी समझदारी को मित्र बनाकर, मेरी हर जिद उसे सौंपकर मैं बेफिक्र
Read Moreवैभवी मेरे बचपन की सहेली। दोनों ने साथ ही पढाई पूरी की और एक ही दफ्तर में नौकरी भी मिल
Read Moreनयन कभी जो बादल बनकर आँसू की बरसात हैं करते, मन की तप्त ज़मीं को थोड़ा शीतल,निर्मल, शान्त ये करते,
Read Moreझूठ मधुर मधु के जैसा है, मीठा बोले तो अच्छा है। विष समान कटु लगे सत्य, सच ना बोले तो
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