सोन मछरिया
ये क्या तरल है जो मेरे फेफड़ों के अंदर-बाहर बना हरकारा है तुम्हारी चाह की साँसे हैं फेफड़ो में धधकती
Read Moreये क्या तरल है जो मेरे फेफड़ों के अंदर-बाहर बना हरकारा है तुम्हारी चाह की साँसे हैं फेफड़ो में धधकती
Read Moreइन ऊबड़-खाबड़ रास्तों ने मुझे चलना सिखा दिया उठकर गिरना और फिर गिरकर उठना सिखा दिया इन रास्तों पर बहुत
Read Moreसड़क और पगडंडी – एक नगर की ओर जाता है और दूसरी गाँव की ओर। गाँव और नगर के बीच
Read Moreधूप से बचने को खड़ा था एक बरगद की छाँव में घूम कर देखा तो खड़ा था विशाल पादप पाँव
Read Moreकाम से हम नहीं थकते तुम्हारे तानों से थक जाते हैं काम तुम्हारा करके यह कौन सा सुख पाते हैं
Read Moreवह आज फिर छत पर आई होगी चॉद से थोड़ी देर बतियाई होगी तारों पर थोड़ी देर ललचाई होगी फिर
Read More